भारत वर्ष के हृदय मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलतापी (जिसका प्रचलित नाम मुलताई है) नगर से माँ ताप्ती अवतरित हुई हैं. सूर्य पुत्र माँ ताप्ती की आयु पृथ्वी की आयु के बराबर मानी जाती हे. दख्खन और विंध्य प्लेट के संगम पर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की तलहटी से
लगकर म प्र, महाराष्ट्र एंव गुजरात में युगो से बहती चली आ रही हैं, हमारी ताप्ती माँ.
उनकी महिमा आम जनता तक पहुंचे इसी आशा और विश्वाश के साथ हमारा यह छोटा सा प्रयास जिससे हम माँ ताप्ती के महत्व को जाने और पीढ़ियों से हमारा लालन, पालन पोषण करने वाली सूर्यपुत्री आदि गंगा माँ ताप्ती से जुड़े तीर्थ स्थल, जंगल, भूगर्भ, पर्वत , जैव विविधता, कृषि, जल, गुणात्मकता, नदी, परंपरा, आस्था एंव संस्कृति से हम परिचित हो सकें, यही परिचय माँ ताप्ती के संरक्षण और संवर्धन में आपने वाले समय में महत्त्वपूर्ण होगा, धर्म परंपरा के अनुसार कृत युग में ब्रम्हाजी ने, नेत्रा युग में दसरथ नंदन श्री राम ने, द्वापर युग में श्री कृष्ण ने ताप्ती माँ की सेवा की अब अवसर है.
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