ेदों रे वेषय ें सं
वेद रातर धर मररम रे रररचीची रहीं, ये वेश व े े पुरारी ृतृत ा हरररर रा आदआदगगंथंथ इससे पहेे रे हम े बढ़ें, मैं आपआप नारा मूेमू े B ा. राेांतर में यय रे द ववरर ये भाग अर थाा - ऋग ऋग ररे प धधधधरररररररररररररररररररररर ेदों रा राे रि हींहीं रह ााा या है रर तु रमें रुष र स त त र र. वेदों रे रचरारार रा रेररधधणणण ुछ 6000 6000 6000 बतेाते हैं. ततत ारा वर णीच
ऋग वववद (RIG VEDA)
चार वेदों में व व द र र र ऋग व व व व व व व व व व व व व व व व व ऋग व द Rig Rig Rig Rig Rig Rig ऋग्वेद के अनेक मन्त्र यज्ञ से सम्बंधित हैं परन्तु उसमें कुछ ऐसे मन्त्र भी मिलते हैं जिन्हें आदिकालीन धार्मिक कविता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है. ऋग्वेद (Rig Veda) का रचनाकाल चाहे जो भी निर्धारित हो, इतना निश्चयपूर्ण कहा जा सकता है कि ऋग्वेद में भारतीय आर्यों के प्राचीनतम युग का इतिहास और उस युग की धार्मिक, सामजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अवस्था का ज्ञान प्राप्त होता है.
i) ब रररह - ऐतररय रररह रररर
ii) आरण य - रेय रण य
iii) उपाषदषद - - रेय
iv) उपवेद - आयुर वव
ऋगवद
सामवेद (SAMVEDA)
वेद में ुु 49 15 49 49 49 75 75 75 75 75 75 75 सामवेद (Samveda) ी ाओं रा गार वव व क कक सामवेद (Samveda) B ो-शास तरररर रा
i) ब रररहह: - ररररहह
ii) आरण य ::::::::::::::::
iii) ाषद: - ार
iv) उपवेद: - गर ध
यजुर वव Y Y (YAJURVEDA)
यजुर व Y Y (Yajurveda) ीी ाखाएँ हैं - ृषृषणण ृषृष यजुर व Y Y Y (Yajurveda) यजुर व गायत ीीी रऔऔ यजुर व Y Y (Yajurveda) रा धर
i) ब रररह - तैत र र र
ii) आरण य - ारण य
iii) उपाषद -
iv) उपवेद: - धरुर व
अथर ववववद AT (ATHARVA VEDA)
अथर व मम 87 अथर ववववद Ath (Atharvaveda) ेे 8 खंड. अथर व इसमें ाधियों, ादू-टोनों gây nên. ुछुछववव
i) ब रररहह - रबररहहह
ii) आरण य - इसइसइसोई यजुरवद
iii) उपषद - - इसइस यजुर वव Y Y (Yajurveda) ेे उपरषद
iv) उपवेद: - स थ