वर्ष 1943 में, रेशम कृषि गतिविधियों पर शोध के लिए देश का प्रमुख और प्रतिष्ठित संस्थान तत्कालीन अविभाजित बंगाल में श्री सी. सी. घोष, विशिष्ट आधिकारी (रेशम), पश्चिम बंगाल सरकार के अंशकालिक अधिकारी / प्रभारी के कुशल नेतृत्व के अधीन केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्र (सीएसआरएस) के नाम पर मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर में स्थापित किया गया था. 1948 में केंद्रीय रेशम बोर्ड की स्थापना संसद के अधिनियम द्वारा की गई थी. दिसंबर, 1956 में, डॉ. डी. पी. राय चौधरी को केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्र (सीएसआरएस), बहरमपुर के अस्थायी निदेशक के तौर नियुक्त किया गया. तदुपरांत 1957 में, 1943 से 1948 तक सीएसआरएस के कामकाज पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट की समीक्षा तत्कालीन वस्त्र आयुक्त एवं अध्यक्ष, केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा की गई तथा डॉ. डी. पी. राय चौधरी को अनुसंधान केन्द्र का स्थायी निदेशक नियुक्त किया गया. तत्पश्चात, जापानी रेशम कृषि अनुसंधान केन्द्र के तरह संस्थान के पुनर्गठन और विस्तार की अनुशंसा की गई. वर्ष 1969 में, सीएसआरएस को केन्द्रीय रेशम बोर्ड के तकनीकी और प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया. 1980 में, सीएसआरएस का नाम परिवर्तित कर केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (केरेउअवप्रसं) रखा गया. तब से लेकर आज तक यह संस्थान देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में स्थित 13 राज्यों अर्थात् पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एवं अरुणाचल प्रदेश के रेशम कृषकों किसानों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहा है. स्थापना के बाद से संस्थान ने कई तकनीकों का विकास किया और इन प्रौद्योगिकियों को समय-समय पर कृषको द्वारा अपनाने हेतु किसानों के प्रक्षेत्र में प्रसारित किया गया. प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ केरेउअवप्रसं, बहरमपुर आईटी पहल की सहायता से अनुसंधान और तकनीकी विकास को बेहतर ढंग से संचारित करने के लिए हितधारकों तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास कर रहा है. उक्त की दृष्टि से रेशम बंधु नामक एक ऐप कृषको, रेशम कृषकों और किसी भी अन्य इच्छुक व्यक्ति को उपयोगी जानकारी प्रदान करने के प्रयोजनार्थ एंड्रॉयड संस्करण के लिए एक उपयोगकर्ता - अनुकूल विश्वसनीय उपकरण के रुप में रुपांकित और विकसित किया गया है. यह रेशम कृषि प्रौद्योगिकियों के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान करने में सक्षम है. इसके अंतर्गत इस क्षेत्र की शहतूत संवर्धन (शहतूत पौध), रेशम कृषि (रेशमकीट बॉम्बिक्स मोरी एल.), धागाकरण, मानव संसाधन विकास एवं विस्तार गतिविधियां शामिल हैं. यह विभिन्न कीटनाशकों, उर्वरकों और रसायनों, कच्चे रेशम उत्पादन और कोसा मूल्य आदि के मात्रा (क्वांटम) के आकलन हेतु रेडि रेकोनर की सुविधा भी प्रदान करता है. रेशम बंधु का पहला संस्करण (1.0) स्टेटिक मोड पर कार्य करता है. भविष्य में इसे डायनेमिक मोड में अपग्रेड करने की संभावना है जिसके माध्यम से किसानों / लाभार्थियों के साथ सीधी बातचीत सुनिश्चित की जाएगी जो हितधारकों के लिए अपेक्षाकृत अधिक सहायक है. उम्मीद है कि यह ऐप लाभार्थियों को अपने वर्तमान स्वरुप एवं उनके मूलभुत प्रश्नों का तत्काल हैंड-टू-हैंड जानकारी प्रदान करेगा. वे ईमेल आईडी extn.csrtiber@gmail.com के माध्यम से इस संस्थान के विषय विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं.
Resham Bandhu Hindi V 1.2