मृत्युंजय मन्त्र साधना और मृत संजीवनी मन्त्र साधना दोनों अलग अलग साधना है!
हमारे परम आदरणीय हिन्दू धर्म के दुर्लभ शास्त्र कहते हैं की मृत्युंजय मन्त्र साधना में जिन्दा आदमी की किसी भी कारण से हो सकने वाली मृत्यु को टालने का प्रयास किया जाता है जबकि मृत संजीवनी मन्त्र साधना में मर चुके आदमी को फिर से जिन्दा करने का प्रयास किया जाता है!
प्राचीन भारत के ज्ञान विज्ञान के मूर्धन्य जानकार श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय जी बताते हैं की हमारे बेहद कीमती शास्त्रों के अनुसार,
ये दोनों विद्याएँ बहुत ही कठिन है पर मृत संजीवनी विद्या (mrit sanjivani thần chú thực hành yoga trong tiếng Hin-ddi) विशेष कठिन है क्योंकि इसमें मरा हुआ शरीर चाहे कितनी भी सड़ी गली या कटी फटी अवस्था में हो उसे जिन्दा किया जा सकता है!
इस ứng dụng में मृत संजीवनी विद्य के बारे मे बताया गया है जो कि बहुत ही रोचक और ज्ञान से परिपूर्ण है
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