"केसरिया हिन्दू वाहिनी"
यह एक गैर राजनीतिक संगठन है जो कि पूर्ण रूप से हिंदुत्व के जमीनी कार्यो के लिए बनाया गया है, हमारे संगठन में जमीनी रूप से कार्य करने वाले लोगो का स्वागत है |
केसरिया हिन्दू वाहिनी की शुरुआत सभी संस्थापक सदस्यों के विचार विमर्श तथा दीदी साध्वी समाहिता के आशीर्वाद से 02 Tháng Mười năm 2018 को दिल्ली में एक बैठक के माध्यम से की गई, जिसकी बुनियाद संस्थापक सदस्य अतुल मिश्र 'लकी' जी ने जिसलिये रखी थी क्योंकि हिन्दू धर्म मे अनेक संगठन ऐसे बने जो पहले धर्म के नाम पर खड़े किए जाते है और बाद में धन के मामले आते है.
परंतु केसरिया हिन्दू वाहिनी में सदस्यता शुल्क नही रखा गया, सिर्फ हिन्दू एकजुट होकर जमीनी कार्य करे, आपसी सहयोग से सभी कार्य होंगे, इस विचारधारा से इस संगठन की बुनियाद रखी गयी।
हिन्दुत्व क्या है?
वीरसावरकर ने हिन्दू और हिंदुत्व की सही व्याख्या की है
“आसिंधुसिंधुपर्यन्ता, यस्यभारतभूमिका। पितृभू: पुण्यभूश्चैवसवैहिंदुरितिस्मृत: ”॥
सिन्धु नदी से लेकर हिंद महासागर तिफैि अपिीि अपिीि (पूर्वजोंकीभूमि) व पुण्य भूमि मानता है वह हिन्दू है! भारत में अवतरित सभी सम्प्रदायों, पंथों एवं मतों को मानने वालों की यह भूमि उनकी पितृभूमि यानी पूर्वजों की भूमि एवं पुण्य-भूमि यानी उनके देव, गुरुया ग्रन्थ यहीं अवतरित हुए हैं!
हिन्दुत्व की जड़ें किसी एक पैगम्बर पर टिकी न होकर सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, ब्रह्मचर्य, करूणा पर टिकी हैं. हिन्दू विधि के अनुसार हिन्दू की परिभाषा में जिनकी आस्था इस भूमि पर है वे सब हिन्दू है. इसमें आर्य समाजी, सनातनी, जैन, सिख, बौद्ध, लिंगायत, वारकरी, नास्तिक इत्यादि सभी लर आआ हज हह हऔ हऔ हप हप हपभ ह कोई व्यक्ति किसी भी देव या भगवान को मानते हुए, या न मानते हुए भी हिन्दू बना रह सकता है. हिन्दू की परिभाषा में आस्तिक एवं नास्तिक दोनों ही आते हैं। यही कारण है कि भारत में हिन्दू की परिभाषा में सिख बौद्ध जैन आर्यसमाजी सनातनी इत्यादि आते हैं. हिन्दू की संताने यद इ मं न ा न न न ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई र र र र र र र र र र र र र र र र एवं एक दूसरे के धार्मिक स्थलों का लेकर कोई झगड़ा अथवा द्वेष की भावना नहीं है। सभी पंथ एक दूसरे के पूजास्थलों पर आदे के साथ जाते हैं। जैसे स व र र र र र र र ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी ी
जब गुरू तेगबहादुर ने कश्मीरी पंडितो के बलात धर्म परिवर्तन के विरूद्ध अपना बलिदान दिया तो गुरू गोविन्द सिंह ने इसे तिलक व जनेउ की रक्षा के लिए उन्होंने सिख पंथ कि स्थापना की. इसी प्रकार हिन्दुओं ने भगवान बुद्ध को अपना 9 वां अवतार मानकर अपना भगवान मान लिया है. एवं भगवान बुद्ध की ध्यान विधि विपश्यना को करने वाले अधिकतम लोग आज हिन्दू ही हैं एवं बुद्ध की शरण लेने के बाद भी अपने अपने घरों में आकर अपने हिन्दू रीति रिवाजों को मानते हैं. इस प्रकार भारत में फैले हुए पंथों को किसी भी प्रकार से विभक्त नहीं किया जा सकता एवं सभी मिलकर अहिंसा करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य को ही पुष्ट करते हैं.
इसी कारण कोई व्यक्ति चाहे वह राम को माने या कृष्ण को बुद्ध को या महावीर को अथवा गोविन्द सिंह को परंतु यदि अहिंसा, करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य, पुर्नजन्म, अस्तेय, सत्य को मानता है तो वे हिन्दू ही है.
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